[vc_row][vc_column][ohio_text text_typo=”null”]चित्र और शब्द संयोजन: अभिषेक विद्यार्थी सिंह
सम्पादन: रिया सिंह राठौड़[/ohio_text][vc_empty_space height=”30px”][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column width=”1/6″][/vc_column][vc_column width=”2/3″][ohio_text text_typo=”null”]नई दिल्ली में सी सी टी॰वी॰ कैमरों की भरमार है। जगह जगह खम्भों या फिर सीलिंग में ये कैमरे छुपे हुए होते हैं। शुरुआत में भारत की राजधानी में इन कैमरों को लगाने का मुख्य मक़सद लापता बच्चों की तलाश में अधिकारियों को मदद करना था। हालाँकि दिल्ली में सी सी टीवी कैमरों का विस्तार करने के पीछे की वजह निगरानी के साथ साथ औरतों के ख़िलाफ़ अपराधों की रोकथाम करना है। लेकिन अगर ग़ौर करें तो सी सी टीवी कैमरों की बढ़ती संख्या और अपराधों की रोकथाम के बीच कोई सीधा सम्बंध नहीं है और विशेषज्ञों का मानना है कि इन कैमरों के इतने ज़्यादा विस्तार की वजह से लोगों की प्राइवेसी पर ख़तरा बढ़ गया है। [/ohio_text][vc_empty_space height=”30px”][vc_single_image image=”25365″ img_size=”full”][vc_empty_space height=”30px”][ohio_text text_typo=”null”]सी सी टीवी कैमरों को लगाने के पीछे की वजह साफ़ सी है। अपराध सम्भावित जगहों पर जितने ज़्यादा कैमरों की संख्या होगी, अपराधियों को पकड़ने की सम्भावना उतनी ज़्यादा बढ़ जाती है। साधारण शब्दों में सी सी टीवी कैमरों में अपराध को रोकने की क्षमता है। पर इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कैमरों का सही और प्रभावपूर्ण तरीक़े से काम करना भी ज़रूरी है जो असलियत में शायद नहीं होता है। [/ohio_text][vc_empty_space height=”30px”][/vc_column][vc_column width=”1/6″][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column width=”1/3″][vc_single_image image=”25368″ img_size=”full” alignment=”center”][/vc_column][vc_column width=”1/3″][vc_single_image image=”25369″ img_size=”full” alignment=”center”][/vc_column][vc_column width=”1/3″][vc_single_image image=”25367″ img_size=”full” alignment=”center”][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column width=”1/6″][/vc_column][vc_column width=”2/3″][vc_empty_space height=”30px”][ohio_text text_typo=”null”]फ़ोरबज के एक इंफ़ोग्राफ़िक के अनुसार दिल्ली में दुनिया के किसी भी देश के मुक़ाबले प्रति वर्ग मील सबसे ज़्यादा सी सी टीवी कैमरे हैं। दिल्ली सरकार के 2020-21 के बजट में सी सी टीवी कैमरों की संख्या 2.8 लाख है जो कि पिछले बजट में इसकी आधी थी। लेकिन कैमरों की वजह से अपराधों में कोई कमी नहीं आयी है। दिल्ली पुलिस के डेटा के अनुसार 2021 के पहले आठ महीनों में महिलाओं के ख़िलाफ़ कुल 8106 अपराध हीं दर्ज हुए। उसके पिछले साल 5095 अपराध दर्ज हुए जबकि असली संख्या कहीं ज़्यादा है। इसमें ध्यान देनी वाली ख़ास बात ये है कि 2020 में लम्बे लॉकडाउन की वजह से कम हीं मामले दर्ज हुए। 2021 के डेटा को देखें तो इस संख्या में भारी वृद्धि हुई। कई अंतरराष्ट्रीय स्टडी को देखें तो उनका भी मानना है कि सी सी टीवी कैमरों से अपराधों में कोई कमी नहीं आती। इसलिए दावे के साथ ये कहना बड़ा मुश्किल है कि सी सी टीवी कैमरों के होने की वजह से औरतों के ख़िलाफ़ अपराधों में कमी आ हीं जाएगी।[/ohio_text][vc_empty_space height=”15px”][ohio_text text_typo=”null”]2019 में इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के आवासीय और बाज़ारों में लगे सी सी टीवी कैमरों के ख़िलाफ़ एक नोटिस भेजा। इस नोटिस में संगठन ने ये स्पष्ट तौर पर लिखा कि इस कैमरा इंफ़्रास्ट्रकचर का कोई वैधानिक उद्देश्य नहीं है। उद्देश्यहीनता और कथित कमज़ोर डेटा सुरक्षा सिस्टम के ग़लत इस्तेमाल की तरफ़ धकेलती है। इसलिए ये क़दम शहर को स्त्रियों के लिए ज़्यादा असुरक्षित बनाता है और एक व्यक्ति की प्राईवेसी को भी ख़तरे में डालता है। जस्टिस के.एस.पट्टूस्वामी vs यूनीयन ओफ इंडिया केस के जजमेंट के अनुसार:[/ohio_text][vc_empty_space height=”30px”][/vc_column][vc_column width=”1/6″][/vc_column][vc_column][vc_row_inner][vc_column_inner width=”1/12″][vc_icon icon_fontawesome=”fas fa-quote-left” color=”mulled_wine” size=”lg”][/vc_column_inner][vc_column_inner width=”3/12″][ohio_testimonial block_type_layout=”default” block_type_alignment_default=”left” quote=”निजता या प्राइवेसी की वैध आकांक्षा अंतरंग से निजी और निजी से सार्वजनिक ज़ोन में अलग अलग हो सकती है पर एक बात जो ज़रूरी है वो ये कि इस सब में किसी व्यक्ति की निजता का हनन या समर्पण सिर्फ़ इसलिए ना हो क्योंकि वो एक सार्वजनिक स्थल पर है। निजता किसी भी व्यक्ति की इज़्ज़त का एक ज़रूरी हिस्सा होता है।” headline_typo=”null” quote_typo=”{“font_size“:““,“line_height“:““,“letter_spacing“:““,“color“:““,“weight“:“inherit“,“style“:“italic“,“use_custom_font“:false}” author_typo=”null” position_typo=”null”][/vc_column_inner][vc_column_inner width=”4/12″][vc_single_image image=”25388″ img_size=”full” alignment=”center”][/vc_column_inner][vc_column_inner width=”4/12″][vc_single_image image=”25387″ img_size=”full” alignment=”center”][/vc_column_inner][/vc_row_inner][vc_empty_space][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column width=”4/12″][vc_single_image image=”25390″ img_size=”large” alignment=”center”][/vc_column][vc_column width=”8/12″][vc_empty_space height=”30px”][ohio_text text_typo=”null”]व्यापक निगरानी के विषय पर उठे सवाल इस जजमेंट के हिस्सों का नियमित खंडन करते हुए बताते हैं कि किस तरह इसका दुरुपयोग हो सकता है। इस चिंता के दायरे में डिजिटल स्टॉकिंग और voyeurism जैसे मुद्दे आते हैं और ऐसी भी व्यवस्था पनप रही है जहाँ सिर्फ़ पिछड़े समुदायों पर निगरानी रखी जा रही है।
व्यापक निगरानी व्यवस्था सिर्फ़ भारत की राजधानी तक हीं सीमित नहीं है। फ़ोरबज के इंफ़ोग्राफ़िक के अनुसार दुनिया के गहनतम निगरानी देशों में प्रति वर्ग मील स्थापित सी सी टीवी कैमरा में चेन्नई तीसरे स्थान पर और मुंबई अठारहवे स्थान पर है। भारत को दुनिया का सबसे ज़्यादा निगरानी परस्त देश माना जाता है। इसलिए कैमरों की वजह से देश की राजधानी में जो समस्या है वो बाक़ी शहरों में भी होंगी हीं। चेहरा पहचान तकनीक के आने से ये चिंता और भी गहरा जाती है और कई राज्य सरकारें जैसे तेलंगाना और तमिलनाडू पिछले कुछ सालों में अपनी निगरानी व्यवस्था को चाक चौबंद कर रहे हैं। [/ohio_text][vc_empty_space height=”30px”][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column][vc_empty_space height=”55px”][vc_row_inner][vc_column_inner width=”1/6″][/vc_column_inner][vc_column_inner width=”2/3″][ohio_text text_typo=”null”]सी सी टीवी कैमरा अपराध के लिए सबूत जुटाने के साथ साथ प्राइवेसी पर ख़तरे को दोगुना बढ़ाता है। बड़े पैमाने पर निगरानी नेटवर्क जहाँ व्यक्ति की निजता की सुरक्षा पर कोई चौकसी नहीं है वो अपने आप में काफ़ी चिंताजनक है। सार्वजनिक जगहें इतनी व्यापक होती हैं आपको पता हीं नहीं कौन आपको देख रहा है, आपकी तस्वीर का वो क्या करेगा और आप इसके लिए क्या कर सकते हैं। एक बार आपकी नज़र कैमरे पर पड़ जाए तो उसे आप नज़रंदाज़ नहीं कर सकते।
[/ohio_text][vc_empty_space][/vc_column_inner][vc_column_inner width=”1/6″][/vc_column_inner][/vc_row_inner][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column width=”2/12″][/vc_column][vc_column width=”4/12″][vc_single_image image=”25392″ img_size=”full” alignment=”center”][/vc_column][vc_column width=”4/12″][vc_single_image image=”25391″ img_size=”full” alignment=”center”][/vc_column][vc_column width=”2/12″][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column width=”1/6″][/vc_column][vc_column width=”2/3″][vc_empty_space height=”45px”][vc_separator][vc_empty_space height=”20px”][ohio_text text_typo=”null”]
अभिषेक विद्यार्थी सिंह दिल्ली स्थित एक फ़्रीलेंस जर्नलिस्ट और फ़ोटोग्राफ़र हैं। अपने काम ये ज़रिए वो अपने शहर की संस्कृति, प्रकृति, सामाजिक बदलाव को डॉक्युमेंट करने का प्रयास करते हैं।
इंस्टाग्राम पर वो @infrasonic पर उपलब्ध हैं और Behance पर https://www.behance.net/avsingh[/ohio_text][/vc_column][vc_column width=”1/6″][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column][vc_empty_space height=”100px”][/vc_column][/vc_row]