जनप्रतिनिधित्व कानून का बढ़ता शिकंजा

लोकतंत्र को अपराधियों की छाया से मुक्त करने के प्रयास में सुप्रीम कोर्ट ने दस साल पहले एक अहम फैसला दिया था। लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दागी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की सदस्यता बरकरार रखने का विशेषाधिकार समाप्त कर दिया था। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद भारतीय राजनीति के अपराधीकरण पर इसका क्या प्रभाव पड़ा है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को मानहानि के मामले में दो साल की सजा मिलने के बाद और उनकी संसद सदस्यता निरस्त होने के कारण जनप्रतिनिधित्व कानून का यह प्रावधान एक बार फिर चर्चा में है। क्या है यह कानून और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से राजनीति के अपराधीकरण पर इसका कितना प्रभाव पड़ा है और क्या इसमें फिर बदलाव की जरूरत है। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर इस कानून का विश्लेषण जरूरी है। 


Default Author Image

Vivek Varshney

Found this post insightful? Share it with your network and help spread the knowledge.

Suggested Reads

चर्चित रहा जस्टिस धनंजय चंद्रचूड का कार्यकाल

भारत के चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड का दो वर्ष का कार्यकाल सुर्खियों में रहा। वैसे तो वह आठ साल से अधिक समय तक सुप्रीम कोर्ट के जज रहे लेकिन सीजेआई के रूप में उनके दो वर्ष लगातार चर्चा में रहे। सीजेआई बनने से पहले ही जस्टिस चंद्रचूड ने कई ऐसे […]

Greenfield Cities: A Vision for India’s Urban Tomorrow

Adopting the compact city model in greenfield developments also aligns with global sustainability goals. Concentrating development within a limited area preserves the surrounding natural landscapes and reduces the carbon footprint.

Redefining Care: Disability, Autonomy and the Path to Deinstitutionalization

 Background The Supreme Court in India has taken a welcome step in securing the rights of persons with disabilities (PWD) and their rehabilitation. On January 19, 2024, the SC ordered all states to report on prevailing conditions across all homes for abandoned children and adults with intellectual or psychosocial disabilities within eight weeks.  India has […]

एक देश, एक चुनाव: क्रियान्वयन आसान नहीं होगा 

 देश में लोक सभा और विधान सभा के चुनाव एकसाथ कराने के प्रस्ताव को केन्द्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। केन्द्र सरकार ने कहा है कि संसद शीतकालीन सत्र में विधेयक लाएगी। एक राष्ट्र, एक चुनाव का नारा जितना आकर्षक लगता है, इसे लागू करना उतना ही मुश्किल है। सभी 28 राज्यों और कुछ […]